नई दिल्ली। पूर्व दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने सोमवार को गैरकानूनी टेलीफोन एक्सचेंज के मामले में मारन की अपील खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश में दखल देने से इन्कार करते हुए मारन से कहा कि वे मुकदमे का सामना करें और जो दलीलें यहां दे रहे हैं, ट्रायल के दौरान कोर्ट में रखें।
मारन ने हाईकोर्ट के गत 25 जुलाई के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने दयानिधि मारन व अन्य अभियुक्तों को आरोपमुक्त करने के सीबीआई अदालत के फैसले को निरस्त कर दिया था। ये मामला दयानिधि मारन के चेन्नई स्थिति घर में गैरकानूनी एक्सचेंज लगाने और उससे उनके भाई कलानिधि मारन की कंपनी सन टीवी नेटवर्क को अनुचित लाभ पहुंचाने का है।
सोमवार को न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, आर भानुमति व नवीन सिन्हा की पीठ ने कहा कि वे हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं है। आरोपों पर ट्रायल के दौरान विचार होगा। कोर्ट ने कुछ ही मिनटों में दयानिधि मारन की अपील खारिज कर दी। यहां तक कि उनकी ओर से पेश वरिष्ठ वकीलों को बहस का ज्यादा मौका भी नहीं मिला।
सीबीआई के आरोपपत्र के मुताबिक, दयानिधि मारन ने यूपीए सरकार में बतौर दूरसंचार मंत्री अपने पद का दुरुपयोग करते हुए चेन्नई स्थित आवास पर गैरकानूनी प्राइवेट टेलीफोन एक्सचेंज लगवाया था। इसका उपयोग सन नेटवर्क के बिजनेस में हुआ था।
सीबीआई के मुताबिक इस एक्सचेज में 700 हाई एंड दूरसंचार लाइनें थीं। इनका बिल नहीं लिया गया, जिससे करीब 1.78 करोड़ के राजस्व की हानि हुई। विशेष सीबीआई अदालत ने गत 14 मार्च को दयानिधि मारन व पांच अन्य अभियुक्तों को यह कहते हुए आरोपमुक्त कर दिया था कि पहली नजर में उनके खिलाफ आरोप नहीं बनते।
अन्य अभियुक्तों में दयानिधि मारन के निजी सचिव और सन टीवी के अधिकारियों के अलावा बीएसएनएल के पूर्व जनरल मैनेजर व पूर्व डिप्टी जनरल मैनेजर थे। मद्रास हाई कोर्ट ने सीबीआई की अपील स्वीकार करते हुए मारन व अन्य को आरोपमुक्त करने का विशेष अदालत का फैसला निरस्त कर दिया था।